Tuesday, January 21, 2020

संसार बंधन से मुक्ति

  

।। मुक्ति ।।

जवे यमराज रजाये सुते मुहे ले चलिहे भट बाँध नटैया ।
सांस ते घोर पुकारते आरत कौन सुने चहु ओर डटैया ।।
तात न मात न स्वामी सखा सूत बंधु विशाल विपत्ति बटैया ।
और एक कृपाल तहाँ तुलसी, दशरथ को नंदन बंदी कटैया ।।

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