|| जीवन सारांश ||
काया कुटी खाली करना पड़ेगा ।।
चमड़े के कमरे को तू क्या संभाले ।
जिस दिन तुझे घर का मालिक निकले ।।
इसका किराया भी भरना पड़ेगा ।
काया कुटी खाली करना पड़ेगा ।।
आयेगा नोटिस जमानत न होगी ।
पल्ले में गर कुछ अमानत न होगी ।।
फिर होके कैद तुझको चलना पड़ेगा ।
काया कुटी खाली करना पड़ेगा ।।
मेरी न मानो यमराज तो मनायेंगे ।
तेरा कर्म दंड मार मार भुगताएंगे ।।
घोर नर्क बीच दुःख सहना पड़ेगा ।
काया कुटी खाली करना पड़ेगा ।।
कहे गीता नंद फिरेगा तू रोता ।
लख चौरासी में खाये गोता ।।
फिर फिर जन्म लेके मरना पड़ेगा ।।
काया कुटी खाली करना पड़ेगा ।।
Jitendra kumar
No comments:
Post a Comment