Sunday, December 29, 2019

जीवन सारांश





【जीवन सारांश】

सुख पाता रहा जो सदा जग में,
उसे आखिर में दुःख पाना पड़ा।
पछताया नहीं जो कही भी कभी भी,
उसे अंत समय में पछताना पड़ा।
कोई फूल न बाग में ऐसा खिला,
जो खिलके उसे मुरझाना पड़ा।
विधि का यह अटल विधान रहा,

जिसे आना पड़ा उसे जाना पड़ा।

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